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ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?

ये महलों, ये तख़्तों, ये ताजों की दुनिया 
ये इंसान के दुश्मन समाजों की दुनिया 
ये दौलत के भूखे रिवाजों की दुनिया 
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है ?
- साहिर लुधियानवी

साहिर साहब के इस शेर में ज़िन्दगी का पूरा फ़लसफ़ा है। जिसने सच्चाई को छुआ है। यह इंसान की रूह की ही आवाज़ थी, जो साहिर के लफ़्ज़ों से निकली। उन्होंने जीवन की सच्चाई को एक नजर से देखा। जहाँ दौलत, शोहरत, समाज और झूठे रिवाजों की भूख है सिर्फ। कोरोना महामारी ने जब दुनिया को घेरा तो हर किसी को सच्चाई का सामना करना पड़ा। लोगों के अपने छूटे, घर, परिवार, शहर, देश सब ही छूटा मगर इंसान के समझ में फिर भी कुछ न आया। ईर्ष्या, द्वेष, जलन, दुश्मनी से भरा इंसान घूम रहा इस दुनिया में सब कुछ हासिल करने के लिए। क्या हम इस दौड़ में खो गए हैं? और इंसानियत का क्या? जो इन सब के बीच कहीं गुम हो चुकी है। 

अभी तक, हमने इंसानियत की सच्चाई को समझा नहीं है। इंसानियत तो एक दूसरे को करीब लाने का काम करती है, मगर इर्ष्या, द्वेष, और जलन से भरी इस दुनिया में, हम सबसे दूर होते जा रहे हैं। हम अपने स्वार्थ के लिए हर वो चीज करने को तैयार हैं, जो हमें इंसानियत से ही दूर कर दे। ऐसे जी कर हमें क्या मिला है? और क्या ही मिलेगा? सोच कर देखिए। 

रोज़ के ताने, गिले-शिकवे, इतना बोझ लेकर कैसे जीया जा सकता है? दम नहीं घुटता ऐसे जीने में? मैंने कहीं पढ़ा था 'बातचीत महज एक शब्द है, मगर की जाए तो दिलों के मैल धुल जाते हैं।' तो क्यों न आपस में बात कर के ये मैल धो डाला जाए? 

मगर हम क्यों बात करें? वो पहले करे। इसी ईगो में, दीवार पर दीवार बनती जाती है। और जब ऐसी दुनिया हमने बना ही ली है, तो सवाल तो आखिरी यही बचेगा, 'ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?

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9 Comments

Rupesh Kumar

21-Jan-2024 04:57 PM

Nice one

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Madhumita

21-Jan-2024 04:41 PM

Nice

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Khushbu

18-Jan-2024 07:53 PM

Very nice

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